भारतीय टीम के ऑलराउंडर विजय शंकर पिछले कुछ सालों में काफी चर्चा में रहे हैं। 2018 निदाहास ट्रॉफी के फाइनल में उनके बल्ले से जूझने की वजह से टीम हार के करीब पहुंच गई थी। विजय के अनुसार इससे निकलने में उन्हें हफ्ते भर का समय लगा था। वे अभी भारतीय टीम से बाहर चल रहे हैं। उनका कॉम्पिटीशन शिवम दुबे और हार्दिक से है। हालांकि, विजय ऐसा नहीं मानते। उनका कहना है कि वे अपना काम करते हैं, दूसरे क्या कर रहे इस पर ध्यान नहीं देते। उनसे बातचीत के कुछ अंश-
विजय शुरुआत से शुरू करते हैं। आपके पिता और भाई क्रिकेट खेलते थे। क्या यहीं से खेल में आपकी दिलचस्पी बढ़ी? आपके हीरो कौन थे?
हां, दोनों क्रिकेट खेलते थे। मैं 5वीं क्लास में स्कूल की एकेडमी से जुड़ गया। फिर जिले के लिए खेला। लगा कि इसे करिअर बना सकते हैं। मेरे हीरो राहुल द्रविड़ थे। मेरे पास एडिलेड टेस्ट में उनकी 233 और 72 रनों की पारी की सीडी भी थी।
मैंने सुना है कि बचपन में आपके छत पर नेट लगे थे। क्या यह सच है?
हां, छत पर नेट्स हैं। मैं वहां काफी प्रैक्टिस करता हूं। मेरे करीबी दोस्त भी साथ खेलते हैं। जब भी हमें ऐसा लगता था कि प्रैक्टिस करना चाहिए, तभी करते हैं।
निदाहास ट्रॉफी से निकलने में आपको कितना समय लगा?
एक हफ्ता लग गया था। सीरीज के बाद घर आ गया। करने के लिए कुछ नहीं था। कई बार आप निकलना चाहते हैं लेकिन आपको पता नहीं होता कि कैसे। मेरे साथ भी ऐसा ही था। फिर मुझे समझ आ गया कि ये सब क्रिकेट का हिस्सा है और सभी इससे गुजरते हैं।
आप सोशल मीडिया पर होने वाली आलोचना को कैसे झेलते हैं?
सबसे अच्छा होता है, इन सब से दूर रहना। लेकिन आप इससे दूर भी रहते हैं तो अपने दोस्तों और परिवार वालों से आपको मैसेज मिल जाता है। फिर भी इसे महत्व देने की जरूरत नहीं है।
आपको वर्ल्ड कप टीम में जगह मिली, आपके लिए यह कितना बड़ा मौका था। क्या आपने दबाव महसूस किया? फिर चोटिल होकर आप टूर्नामेंट से बाहर हो गए।
बिल्कुल, यह मेरे लिए बड़ा अवसर था। हमने न्यूजीलैंड दौरा किया था, फिर ऑस्ट्रेलिया की सीरीज थी। मैंने दो मैचों में अच्छी पारी खेली लेकिन रन आउट हो गया। नागपुर में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अच्छी गेंदबाजी भी की। फिर वर्ल्ड कप टीम में जगह मिली। बाहर होना काफी निराशाजनक था। यह काफी मुश्किल भी था, लेकिन ये चीजें आपके हाथ में नहीं होती।
एमएसके प्रसाद ने आपको थ्री डायमेंशनल खिलाड़ी बताया था, जो तीनों विभागों में उपयोगी है। यह बयान आपके लिए कितना बड़ा था?
मैं काफी समय से मेहनत कर रहा हूं और पहचान मिलना काफी महत्वपूर्ण है। मुझे सुनकर काफी खुशी हुई थी। मैंने पाकिस्तान के खिलाफ 15 रन बनाने के साथ दो विकेट लिए और डीप स्क्वायर लेग पर कैच भी लपका।
आप खुद को बैटिंग ऑलराउंडर मानते हैं या बॉलिंग?
मैं खुद को सिर्फ ऑलराउंडर मानता हूं। आपको हर समय तैयार रहना होता है। जब जरूरत हो गेंदबाजी, जब जरूरत हो बल्लेबाजी। या महत्वपूर्ण स्थानों पर फील्डिंग। मैं खुद को बॉलिंग या बैटिंग ऑलराउंडर नहीं कहता।
टीम में वापसी करने के लिए आप इसपर ध्यान रखते हैं कि शिवम दुबे और हार्दिक पंड्या क्या कर रहे?
बिल्कुल नहीं। मुझे लगता है कि मैं अलग हूं और इसपर मुझे भरोसा होना चाहिए। मुझे मेहनत करना चाहिए और यह नहीं सोचना चाहिए कि दूसरे क्या कर रहे हैं। अगर मैं अपना काम ठीक से करूं तो चीजें जगह सही रहेंगी। मुझे दूसरों के बारे में ज्यादा नहीं सोचना चाहिए।
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