किंग्स इलेवन पंजाब की टीम सिर्फ एक ही बार आईपीएल फाइनल तक पहुंची। जब 2014 में उनके मुख्य कोच संजय बांगर थे। बांगर को इसके बाद तुंरत टीम इंडिया का बैटिंग कोच बनाया गया और वो 5 साल तक कोहली की टीम के साथ रहे। बांगर से हमने आईपीएल और कोचिंग से जुड़े कई मुद्दों पर बातचीत की। इस खास बातचीत के अंश...
सवाल- हाल ही में अनिल कुंबले ने कहा कि उन्हें इस बात पर हैरानी है कि बहुत सारे घरेलू कोच आईपीएल का हिस्सा नहीं हैं। इस पर आपकी राय?
जवाब- कुंबले की बातों में तो काफी वजन रहता है। ये बात ठीक है कि कोच की नियुक्ति का आखिरी फैसला फ्रेंचाइजी के मालिकों पर ही निर्भर करता है। लेकिन मेरा मानना है कि किसी योग्य कोच की दावेदारी को सिर्फ इस धारणा के लिए नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है कि एक भारतीय अच्छे से ये काम नहीं कर पाएगा।
सवाल- आईपीएल में सहायक कोच तो कई भारतीय हैं। लेकिन मुख्य कोच कम। ऐसा क्यों?
जवाब- कोई एक खास वजह तो मुझे समझ नहीं आती। पिछले कुछ सालों से तो टीम इंडिया का कोचिंग सेटअप पूरी तरह से भारतीय है और टीम बहुत अच्छा खेली भी है। लेकिन मेरा ये भी मानना है कि भारतीय कोचों को भी ये विचार करने की जरूरत है कि उन्हें कहां-कहां खुद को और बेहतर करना है, ताकि उन्हें बड़ी जिम्मेदारी मिले।
सवाल- कोच बनने के लिए आपको अतीत में एक बड़ा खिलाड़ी होना ज्यादा जरूरी है या बतौर कोच आपकी पुरानी उपलब्धियां?
जवाब- इंटरनेशनल क्रिकेट के शानदार खिलाड़ी के लिए एंट्री तो आसान होती ही है। लेकिन, दूसरा विकल्प ट्रैवर बेलिस जैसे कोच का भी है, जिन्होंने अपनी मेहनत से लंबा सफर तय किया है। आईपीएल में दोनों तरह के कोच मिलेंगे।
सवाल- क्या किसी एक खास कोच ने आपको प्रभावित किया? इस बार की पसंदीदा टीम कौन सी है?
जवाब- टॉम मूडी ने हैदराबाद के लिए अलग अंदाज में शानदार काम किया है। उनके काम का मैं काफी सम्मान करता हूं। इस बार दिल्ली काफी संतुलित टीम है। उनके पास टीम इंडिया के अहम खिलाड़ियों के साथ विदेशी खिलाड़ियों की मौजूदगी का अच्छा तालमेल है।
सवाल- आप 2014 में पंजाब को फाइनल तक लेकर गए थे। क्या आपको लगता है कि कुंबले इस मामले में आपसे एक कदम आगे जा सकते हैं?
जवाब- कुंबले भारत के बड़े मैच विनर्स में से एक रहे हैं। जिस तरह का अनुभव उनके पास है, जो रणनीति उनके पास है, अगर पंजाब को अच्छी शुरुआत मिलती है तो निश्चित तौर पर वो एक कदम आगे जा सकते हैं।
सवाल- भारतीय टीम-आईपीएल की कोचिंग में क्या फर्क होता है?
जवाब- इंटरनेशनल क्रिकेट में आपके पास समय होता है कि आप खिलाड़ियों की मजबूती और कमजोरी को पहचान कर उसे बेहतर करने के लिए काम कर सकते हैं। आईपीएल में आप पर खिलाड़ी से एक खास तरह का रोल निभाने की जिम्मेदारी होती है। कम अनुभव वाले खिलाड़ी को आप प्रेरित करके एक इंटरनेशनल स्तर वाली लीग में कैसे बेहतर प्रदर्शन करवा पाते हैं वो आपके लिए कोच के तौर पर एक चुनौती होती है।
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