महामारी विशेषज्ञों ने कोरोनावायरस और तापमान के बीच एक और नयाकनेक्शन ढूंढ़ाहै। उनका कहना है कि कोविड-19 सर्दियों की मौसमी बीमारी बन सकती है, जैसे-जैसे नमी कम होगी, इसके मामले बढ़ सकते हैं। आसपासनमी घटने पर वायरस के कण हल्के और बारीक हो जाते हैं, इसलिए संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
यह बात सिडनी यूनिवर्सिटी और शंघाई की फूडान यूनिवर्सिटी ऑफ पब्लिक हेल्थ की संयुक्त रिसर्च में सामने आई है। दक्षिणी गोलार्ध मेंतापमान और कोरोनावायरस पर हुई यह अपनी तरह की पहली रिसर्च है।
ऐसे हुई रिसर्च
माइकल के मुताबिक, पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध वाले हिस्से में जब नमी कम होना शुरू होती है तो सतर्क रहना जरूरी है। सिडनी में कोविड-19 के 749 मरीजों पर 26 फरवरी से 31 मार्च तक रिसर्च चली। शोधकर्ताओं ने मरीजों के आसपास मौसम केंद्र से स्थिति समझीं। इस दौरान बारिश, नमी और जनवरी से मार्च के तापमान केआंकड़ेजुटाए गए। मरीजों की संख्या, मौसम और संक्रमणके अन्य पैरामीटर्स के एनालिसिस सेसामने आया कि वायरस का संक्रमण फैलने में नमी अहम रोल अदा करती है।
कम नमी वाला तापमान मामले बढ़ा सकता है
ट्रांसबाउंड्री और इमर्जिंग डिसिसेज़जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, चीन, यूरोप, उत्तरी अमेरिका में महामारी सर्दियों के दिनों में फैली। प्रोफेसर माइकल कहते हैं, सर्दियों से भी ज्यादा अहम है कम नमी वाला तापमान। यह मामले बढ़ाने का काम कर सकता है।
तर्क- नमी घटने पर वायरस के कण छोटे हो जाते हैं
शोधकर्ताओं ने अपनी रिसर्च में तर्क दिया है कि जब नमी घटती है और हवा शुष्क होती है तो वायरस के कण और बारीक हो जाते हैं। इस दौरान किसी के छींकने या खांसने पर ये कण हवा में लम्बे समय में टिके रहते हैं। ये स्वस्थ लोगों में संक्रमण का खतरा बढ़ाते हैं। वहीं, जब हवा में नमी बढ़ती है तो ये कण बड़े और भारी होने के कारण नीचे गिर जाते हैं।
सर्दी में लक्षण दिखने पर तुरंट अलर्ट हों
सिडनी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर माइकल वार्ड के मुताबिक, कोविड-19 सर्दियों की मौसम बीमारी बन सकती है। अगर सर्दी का मौसम है इसके लक्षण दिखते हैं तो अलर्ट होने की जरूरत है। शोधकर्ताओं का दावा है कि हॉन्ग-कॉन्ग में कोविड-19 और सउदी अरब में मेर्स के मामलों का जलवायु से कनेक्शन ढूंढा गया है।
पूरी रिपोर्ट को इस लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं
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