
ईद पर रिलीज हुआ सलमान खान का गाना भाई भाई साजिद और वाजिद की जोड़ी ने मिलकर कंपोज किया था....
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In approving a summer tournament, MLS players have also voted to accept certain concessions, including salary reductions and reduced team and individual bonuses.
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कोरोनावायरस के कारण दुनिया भर के लोग परेशानी में है। खेल पर इसका बुरा असर पड़ा है। लेकिन इन सबके बीच हमें अच्छी खबर भी मिल रही है। भुवनेश्वर स्थित कलिंगा स्टेडियम में कोरोना वॉरियर्स के सम्मान में 500 से अधिक खिलाड़ी जुटे। वहीं द. अफ्रीका के क्रिकेटर फाफ डू प्लेसिस अब तक 35000 बच्चों को फूड पैकेट बांट चुके हैँ। धीरे-धीरे दुनिया में खेल की वापसी भी शुरू हो गई है।
हाॅकी स्टेडियम में खिलाड़ियों और कलाकार सहित 500 से अधिक लोग शामिल हुए। इसमें हॉकी टीम के पूर्व कप्तान दिलीप तिर्की, स्प्रिंटर दूती चंद सहित कई खिलाड़ी शामिल हुए। विभिन्न विभागों में काम करने वाले खिलाड़ी भी बतौर वॉलंटियर्स लड़ाई में मदद दे रहे हैं।
ब्रिटेन में घरेलू टूर्नामेंट 1 जून सेशुरू होंगे
ब्रिटेन की सरकार ने 1 जून से घरेलू टूर्नामेंट के आयोजन को मंजूरी दे दी है। हालांकि फैंस के आने पर पाबंदी अभी भी है। मार्च के मध्य से यहां खेल पूरी तरह से बैन है। हॉर्स रेसिंग और स्नूकर के मुकाबले सोमवार से शुरू हो रहे हैं। इंग्लिश प्रीमियर लीग के मुकाबले 17 जून से शुरू होंगे।
खिलाड़ियों को चार्टर्ड प्लेन की सुविधा
यूएस ओपन का आयोजन 24 अगस्त से होना है। आयोजक खिलाड़ियों को चार्टर्ड प्लेन से बुलाने की तैयारी कर रहे हैं। ट्रैवल से पहले खिलाड़ियों को टेस्ट कराना अनिवार्य होगा
लॉकडाउन की वजह से खिलाड़ियों की परेशानी बढ़ी है। उन पर मानसिक दबाव बढ़ रहा है। इससे सबसे ज्यादा खतरा उनके डिप्रेशन में जाने का है क्योंकि उन्हें लगता है कि अब शायद वे लक्ष्य हासिल नहीं कर सकेंगे। लेकिन मनोवैज्ञानिक और मनोचिकित्सक उनकी इस सोच को सही नहीं मानते।
एम्स के मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर नंद कुमार ने बताया, ‘मनोवैज्ञानिक परेशानी के साथ लोग डॉक्टर के पास शुरुआत में जाने से कतराते हैं। लेकिन मौजूदा समय में खिलाड़ियों के आने की फ्रीक्वेंसी बढ़ी है।
दो रणजी क्रिकेटर मानसिक समस्या लेकर मेरे पास भी आए थे। मैं खिलाड़ियों को सिर्फ यह सलाह देना चाहता हूं कि घर पर ही शारीरिक परिश्रम करें और योग करें। इससे वे मोटिवेट होंगे।’
खिलाड़ियों को आत्मविश्वास बनाए रखना होगा
इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल की चीफ क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. एकता पुरी का कहना है, ‘खिलाड़ी की पूरी जिंदगी एक्सरसाइज, फिटनेस और प्रैक्टिस पर चलती है। यह सब बंद हो गया तो उन्हें लगता है कि अब सब खत्म। ऐसे में उन्हें आत्मविश्वास को ठीक रखना होगा और उन्हें इस बात की सूची बनानी चाहिए कि इस वक्त क्या-क्या किया जा सकता है।’
लॉकडाउन के कारण खिलाड़ियों को खुशी नहीं मिल रही
डॉ. कुमार कहते हैं, ‘खिलाड़ी ज्यादा शारीरिक और मानसिक परिश्रम करते हैं। उनमें एंडोर्फिन और डोपामिन दो तरह के हॉर्मोन निकलते हैं। इससे उनको उस काम को करने में मजा आता है और प्रोत्साहन मिलता है।
लॉकडाउन की वजह से उन्हें वह खुशी नहीं मिल रही है। इसलिए उनके डिप्रेशन में जाने का खतरा है। उन्हें नींद कम आती है, चिड़चिड़ापन ज्यादा होता है।’
देश के कई तीरंदाजअर्जुन पुरस्कारके लिए अपने नामों की सिफारिश के चक्कर मेंराज्य संघों, खेल विभाग के अफसरों के आगे-पीछे घूमने को मजबूर हैं। भारतीय तीरंदाजी संघ को चुनाव के 5 महीने बाद भी मान्यता नहीं मिली है। ऐसे में वह राष्ट्रीयखेल पुरस्कारों के लिए तीरंदाजों के नामों की सिफारिश नहीं कर सकता।
तीरंदाजी के कंपाउंड राउंड से मध्यप्रदेश की मुस्कान किरार और दिल्ली के अमन सैनी अर्जुन अवॉर्ड के लिए आवेदन कर रहे हैं। इनके अलावा रिकर्व राउंड से पश्चिम बंगाल के अतनु दास और महाराष्ट्र के प्रवीण जाधव भी हैं।
एएफआई की 2012 में मान्यता रद्द हुई थी
आर्चरी फेडरेशन ऑफ इंडिया (एएफआई) का चुनाव कोर्ट के आदेश के बाद इस साल जनवरी में हुआ था। इससे पहले खेल मंत्रालय ने 2012 में स्पोर्ट्स कोड का पालन नहीं करने के कारण एएफआई की मान्यता रद्द कर दी थी। जबकि वर्ल्ड आर्चरी फेडरेशन (डब्ल्यूएएफ) ने 5 अगस्त 2019 को फेडरेशन पर प्रतिबंध लगाया था। तब से ही भारतीय खिलाड़ी सभी टूर्नामेंट में डब्ल्यूएएफ के झंडे तले हिस्सा ले रहे थे।
इसी साल जनवरी में हुए थे चुनाव
जनवरी में कोर्ट की ओर से दी गई गाइडलाइन के अनुसार खेल मंत्रालय, डब्ल्यूएएफ और एएफआई की निगरानी में चुनाव हुए थे। इसके बाद डब्ल्यूएएफ ने एएफआई पर से सशर्त प्रतिबंध हटा दिया था। लेकिन खेल मंत्रालय के पास कोर्ट की तरफ से चुनाव से जुड़े दस्तावेज नहीं पहुंचे। इसलिए खेल मंत्रालय ने अब तक फेडरेशन की मान्यता बहाल नहीं की है।
टोक्यो के लिए क्वालिफाई कर चुके हैं अतनु
इंटरनेशनल आर्चर अतनु दास ने अर्जुन अवॉर्ड के लिए आवेदन किया है। उन्होंने भास्कर को बताया कि मेरे नाम की सिफारिशपिछले साल मेजर ध्यानचंद अवॉर्ड से सम्मानित कोच सी. लालरेमसांगा कर रहे हैं। फेडरेशन को मान्यता नहीं मिली है। इसलिए उन्हें और दूसरे तीरंदाजों को व्यक्तिगत रूप से राज्य संघों और राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल कर चुके कोच और अपने मूल विभाग से नाम भिजवाना पड़ा रह है। जबकि आम तौर पर यह काम फेडरेशन का होता है। वही खिलाड़ीका नाम खेल मंत्रालय को भेजती है।
अतनु ने एशियन चैम्पियनशिप में 3 ब्रॉन्ज मेडल जीते
अतनु ने पिछले साल एशियन तीरंदाजी चैम्पियनशिप में 3 ब्रॉन्ज मेडल जीते थे। वहीं, 14 साल बाद वर्ल्ड चैम्पियनशिप में सिल्वर जीतने वाली टीम के सदस्य भी थे। उन्होंने टोक्यो ओलिंपिक के टीम इवेंट, सिंगल और मिक्स्ड डबल्स तीनों वर्ग में क्वालिफाई किया है।
कंपाउंड में देश के लिए अंतरराष्ट्रीय मेडल जीत चुके अमन सैनी ने अब तक अर्जुन अवॉर्ड के लिए ऑनलाइन आवेदन नहीं भेज पाए हैं। उन्होंने भास्कर को बताया कि आमतौर पर फेडरेशन सारी कागजी कार्रवाई पूरी करता है। लेकिन हमारे मामले में तीरंदाजी फेडरेशन को अब तक खेल मंत्रालय सेमान्यता नहीं मिली है। ऐसे में वो हमारे नाम की सिफारिश नहीं कर सकती है। इसलिए मैं खेल मंत्रालय कोऑनलाइन आवेदन भेजने के लिएस्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अधिकारियों से बात कर रहा हूं।
साई के पासमेरे पिछले तीन साल का रिकॉर्ड भी है। इस दौरान मेरा प्रदर्शन कैसा था। वह अच्छे से जानते हैं।इसलिए मैं अफसरों से अनुरोध कर रहा हूं कि वे पुरस्कार के लिए अप्लाई करने में मेरी मदद करें।
एशियन गेम्स में जीत चुके हैं मेडल
अमन ने 2018 एशियन गेम्स के टीम इवेंट में सिल्वर और 2019 वर्ल्ड चैम्पियनशिप के टीम इवेंट में ब्रॉन्ज मेडल जीता है।
अर्जुन अवॉर्ड के लिए मुस्कान किरार के नाम की सिफारिश मध्यप्रदेश स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट कर रहा है। वे 2016 से जबलपुर की आर्चरी अकादमी में ट्रेनिंग कर रही हैं।
वर्ल्ड चैंपियनशिप में टीम इवेंट में ब्रॉन्ज मेडल जीता
मुस्कान ने 2018 एशियन गेम्स के तीरंदाजी कंपाउंड टीम इवेंट में रजत पदक जीता था। उन्होंने इसी साल थाईलैंड एशिया कप में स्वर्ण और कांस्य पदक दिलाया था। मुस्कान ने टर्की में वर्ल्ड कप स्टेज-2 में भी रजत अपने नाम किया था। 2019 वर्ल्ड चैम्पियनशिप के टीम इवेंट में भी ब्रॉन्ज जीता था।
महाराष्ट्र के प्रवीण जाधव पिछले साल वर्ल्ड तीरंदाजी चैम्पियनशिप में 14 साल बाद सिल्वर मेडल जीतने वाली टीम के हिस्सा थे। उनके साथ टीम में तरूणदीप राय और अतनु दास शामिल थे। इन्होंने भी सम्मान के लिए आवेदन दिया है।
अप्लाई करने की आखिरी तारीख 3 जून
अर्जुन अवॉर्ड के लिए अप्लाई करने की आखिरी तारीख 3 जून है। इस बार खिलाड़ियों को ऑनलाइन आवेदन भेजना है। यह सम्मान सभी खिलाड़ियों को उनके पिछले 4 साल के प्रदर्शन के आधार पर दिया जाता है।
इस मामले परआर्चरीफेडरेशन ऑफ इंडिया के सेक्रेटरी प्रमोद चांदुलकर ने बताया कि अभी फेडरेशन को खेल मंत्रालय से मान्यता नहीं मिली है। इसलिए हम अर्जुन अवॉर्ड के लिए किसी भी प्लेयर का नाम नहीं भेज सकते हैं। उन्होंने बताया कि जनवरी में कोर्ट के आदेश पर चुनाव हुए थे। लेकिन लॉकडाउन के कारण कोर्ट के आदेश से जुड़े दस्तावेजमंत्रालय में नहीं पहुंचे हैं। इस कारण मान्यता नहीं मिली है। प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही मान्यता मिल जाएगी।
-प्रमोद चांदुलकर,सेक्रेटरी,आर्चरीफेडरेशन ऑफ इंडिया
Toronto FC is the latest MLS team to start small group training sessions, provided they follow local health and government policies.
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विराट कोहली ने कहा कि उन्हें भारतीय टीम की कप्तानी दिलाने में महेंद्र सिंह धोनी की बड़ी भूमिका रही है। धोनी की कप्तानी में इंटरनेशनल क्रिकेट करियर की शुरुआत करने वाले कोहली ने कहा कि उन्हें यह जिम्मेदारी अचानक नहीं मिली है। धोनी ने उन पर जो भरोसा जताया है, वह काफी अहम है।
कोहली ने रविचंद्रन अश्विन के साथ इंस्टाग्राम चैटिंग के दौरान यह बातें कहीं। उन्होंने कहा है कि धोनी का उन पर ध्यान देना और रणनीतिक चर्चा करना उनके कप्तान बनने में काफी सहायक रहा है।
‘कभी कप्तान बनने के बारे में नहीं सोचा’
भारतीय कप्तान ने कहा, ‘‘मैंने कभी कप्तान बनने के बारे में नहीं सोचा था। मेरा मानना है कि चयनकर्ताओं ने भी मुझे अचानक से नहीं बनाया है। यह जिम्मेदारी देने से पहले उन्होंने धोनी से पूछा होगा। मुझे विश्वास है कि मेरे कप्तान बनने में धोनी की अहम भूमिका रही है।’’
‘अपने आइडिया धोनी से शेयर करता था’
कोहली ने कहा, ‘‘जिस दिन मैं टीम में आया, तभी से बहुत कुछ सीखना चाहता था। मैं चारों तरफ खेल से घिरा रहता था। मैं कई सारे आइडिया धोनी के साथ शेयर करता था। कई बार वे मना कर देते थे, लेकिन जो आइडिया उनको पसंद आता, उस पर वे चर्चा भी करते थे। वे हमेशा मुझे समझने की कोशिश करते थे। मैं हमेशा उनसे सीखता था। मेरी जिज्ञासा के कारण ही शायद उनमें यह विश्वास आया कि टीम का अगला कप्तान मैं हो सकता हूं।’’
‘सचिन के साथ बल्लेबाजी करना यादगार पल रहा’
कोहली ने ढाका में पाकिस्तान के खिलाफ खेली 183 रन की पारी को भी याद किया। उन्होंने कहा, ‘‘उनकी (पाकिस्तान) गेंदबाजी आक्रामण काफी दमदार था। साथ ही उनके पास शाहिद अफरीदी, सईद अजमल, उमर गुल, एजाज चीमा और मोहम्मद हफीज भी थे। मुझे याद है कि मैं पाजी (सचिन तेंदुलकर) के साथ बल्लेबाजी करने से खुश था। उन्होंने 50 रन बनाए और हमने 100 रन से ज्यादा की साझेदारी की। यह मेरे लिए यादगार पल रहा। यह पारी मेरे लिए गेम-चेंजर साबित हुई।’’
कोहली पहली बार 2014 में टेस्ट कप्तान बने थे
धोनी ने 2014 ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर टेस्ट से कप्तानी छोड़ दी थी। इसके बाद कोहली को नेतृत्व सौंपा गया था। 2018 में भारत ने ऑस्ट्रेलिया में 2-1 से टेस्ट सीरीज अपने नाम की थी। दोनों देशों के बीच 71 साल के टेस्ट इतिहास में भारत की ऑस्ट्रेलियाई जमीन पर पहली सीरीज जीत थी। कोहली को सीमित ओवरों की कप्तानी जनवरी 2017 में मिली थी।
आईसीसी की बैठक के बाद भी टी-20 वर्ल्ड कप के आयोजन पर संशय बना हुआ है। आईपीएल भी अनिश्चितकाल के लिए स्थगित है। कोरोना के बाद जुलाई से इंग्लैंड में क्रिकेट की वापसी होगी। लेकिन सभी का ध्यान आईपीएल और टी-20 वर्ल्ड कप पर है। पिछले कुछ हफ्तों से देखा जा रहा है कि दोनों का आयोजन एक-दूसरे पर निर्भर है। अधिकारियों और खिलाड़ियों के बयान से साफ है कि आईपीएल का आयोजन वर्ल्ड कप के स्थान पर ही हो सकता है।
कोरोनावायरस की वजह से सभी बोर्ड फाइनेंशियल तौर पर परेशानी झेल रहे हैं। क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया भी प्रभावित है। टी-20 वर्ल्ड कप खेला जाता है तो उन्हें 16 टीमें और उनके सपोर्ट स्टाफ को क्वारेंटाइन में रखना होगा। दर्शकों के मैदान में आने पर भी रोक रहेगी। इससे रेवेन्यू में काफी कमी आएगी। आईसीसी को भी अधिक फायदा नहीं होगा। दूसरी तरफ दर्शकों के मामले में आईपीएल की भी यही स्थिति है।
आईसीसी और सरकार दोनों की गाइडलाइंस का पालन जरूरी
भारतीय क्रिकेट को आईसीसी के साथ ही सरकार की गाइडलाइंस पर भी चलना है। जिस मामले में आईपीएल वर्ल्ड कप से आगे है, वो है टीवी राइट्स। आईपीएल के टीवी राइट्स की वैल्यू आईसीसी टूर्नामेंट से काफी ज्यादा है। दर्शकों के बिना भी आईपीएल बेहद आकर्षक हो सकता है। इन सब आंकड़ों से साफ है कि फाइनेंशियल तौर पर आईपीएल को रद्द करने से बेहतर टी-20 वर्ल्ड कप स्थगित करना है।
आईसीसी के फ्यूचर टूर प्रोग्राम देखें तो 2022 में ऑस्ट्रेलिया को टी-20 वर्ल्ड कप का आयोजन भी मिल जाएगा। हालांकि अभी ये सभी काल्पनिक बातें ही हैं। आईसीसी काफी समय से रुके खेल को कैसे आगे बढ़ाना चाहती है, इस पर फैसला आईसीसी की 10 जून को होने वाली बैठक में होगा।
Former NFL executive Joe Lockhart penned a column for CNN on Saturday, saying that teams were wrong for not signing Colin Kaepernick, and that the Minnesota Vikings should ink the controversial quarterback now.
कोरोना महामारी के चार महीने के बादचीनी वैज्ञानिकों नेउस रिपोर्ट को खारिज कर दिया है, जिसमें दावा किया गया था कि कोरोनावायरस वुहान के वेट मार्केटसे फैला है। यहां के वैज्ञानिकों का कहना है कि वेट मार्केट का रोल एक सुपर स्प्रेडर की तरह है, न कि किसीसोर्स की तरह। हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन की इसे लेकर अभी कोई टिप्पणी नहीं आई है।
वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के विशेषज्ञों ने रिपोर्ट का खंडन करते हुए कहा, कोरोना के संक्रमण का पहला मामला वुहान की बाजार से नहीं आया है। महामारी की शुरुआत में शोधकर्ताओं की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि कोरोना वुहान के हुनान स्थित सी-फूड मार्केट से फैला। इसे अब चीनी वैज्ञानिकों ने इसे फिरनकार दिया है।
डीएनए सबूतों में चमगादड़-पैंगोलिन पर शक
वैज्ञानिकों ने डीएनए सबूतों के आधार पर दावा किया है कि नोवल कोरोनावायरस Sars-CoV2 चीनी चमगादड़ों में पहले से मौजूद था। इंसानों में इसके आने में किसी बीच के वाहक जानवर की भूमिका हो सकती है और इसमें पैंगोलिन पर सबसे ज्यादा शक है।
चीन के सीडीसी ने भी दिया जवाब
वॉल स्ट्रीट जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के डायरेक्टर गाओ फू का कहना है कि वुहान के पशु बाजार से दोबारा सैम्पल लेने के बाद रिपोर्ट निगेटिव आई है। यह बताता है कि यहां के दुकानदार संक्रमित नहीं हुए।
1 जनवरी को मार्केट बंद करा दी गई थी
वुहान प्रशासन ने डब्ल्यूएचओ को 31 दिसम्बर को निमोनिया की तरह दिखने वाले अलग किस्म के लक्षणों के बारे में बताया था, जो बाद में कोरोनावायरस के लक्षण के तौर पर पहचाना गया। शुरुआत में वुहान की मार्केट से कोरोना के 41 मामलों को जोड़ा गया। इसके बाद 1 जनवरी से मार्केट को बंद करा दिया गया था।
सार्स में भी ऐसे ही बाजार से फैला था संक्रमण
अमेरिका की जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता प्रो. कोलिन कार्लसन के मुताबिक, 2002 और 2003 में आई सार्स महामारी के समय भी गुआंगडॉन्ग के एक ऐसे ही बाजार से संक्रमण फैला था। लेकिन, जांच के दौरान वुहान के बाजार में एक भी जानवर कोरोना पॉजिटिव नहीं मिला। अगर वो संक्रमित नहीं हुए तो इसका मतलब है कि उन्हें कोई ऐसा सम्पर्क नहीं मिला जिससे मामले फैलें।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी आशंका जताई थी
हाल ही में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने कहा था कि यह साफ है कि कोरोनावायरस के संक्रमण में वुहान की मीट मार्केट ने भूमिका रही है, लेकिन इस मामले में अभी और रिसर्च की जरूरत है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि या तो वुहान के मार्केट से यह वायरस विकसित हुआ या फिर यहां से इसका फैलाव हुआ है। चीन के अधिकारियों ने जनवरी में इस मार्केट को बंद कर दिया था, इसके साथ ही वन्यजीवों के व्यापार में अस्थायी प्रतिबंध भी लगा दिया था।
पहला मामला वुहान की झींगा बेचने वाली महिला में सामने आया था
मार्च में मीडिया रिपोर्ट में कोविड-19 की पहली संक्रमित महिला के स्वस्थ होने का मामला सामने आया है। 57 वर्षीय महिला चीन के वुहान में झींगेबेचती थी। वेई गुझियान को पेशेंट जीरो बताया गया था। पेशेंट जीरो वह मरीज होता है, जिसमें सबसे पहले किसी बीमारी के लक्षण देखे जाते हैं। खास बात यह है कि करीब एक महीने चले इलाज के बाद यह महिला पूरी तरह से ठीक हो चुकी थी।
वुहान वेट मार्केट में10 दिसंबर की घटना
द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि यह महिला उस समय संक्रमित हुई, जब वह वुहान के हुआन सी-फूड मार्केट में 10 दिसंबर को झींगे बेच रही थीं। इसी दौरान उसने एक पब्लिक वॉशरूमका इस्तेमाल किया थाऔर इसके बाद उसे बुरी तरह से सर्दी-जुकाम ने जकड़ लिया।
चीन मेंबायोटेक कम्पनी सिनोवेट ने कोरोनावायरस की वैक्सीन बनाने की दिशा में काफी आगे बढ़ चुकीहै, लेकिन उसे ट्रायल के लिए मरीज नहीं मिल रहे हैं। कम्पनी का दावा है कि उसका वैक्सीन99 फीसदी तकअसरदार साबित होगा। बायोटेक कम्पनी सिनोवेट का कहना है कि हमने वैक्सीन के 100 मिलियन डोज तैयार करने का लक्ष्य रखा है।
वैक्सीन का नाम रखा कोरोनावेक
एकेडमिक जर्नल साइंस में प्रकाशित शोध के मुताबिक, कम्पनी ने वैक्सीन का नाम "कोरोनावेक" रखा है। ट्रायल में पाया गया है कियह बंदर को कोरोनावायरस से सुरक्षित रखती है। शोधकर्ता का कहना है कि अगले दौर के ट्रायल के लिए चीन में कोविड-19 के मरीजों की संख्या काकम होना सबसे बड़ी समस्या है।
तीसरे दौर के ट्रायल के लिए ब्रिटेन से बातचीत जारी
कम्पनी अपने दूसरे दौर का ट्रायल कर रही है जिसमें 1 हजार वॉलंटियरोंको शामिल किया गया है। वैक्सीन का तीसरा ट्रायल ब्रिटेन में किया जाना है और इसके लिए बातचीत चल रही है। शोधकर्ता लुओ बायशन का कहना है कि मैं 99 फीसदी तक निश्चिंत हूं कि ये वैक्सीन कारगर साबित होगी।
हाई रिस्क जोन वालों को प्राथमिकता
कम्पनी के सीनियर डायरेक्टर हेलेन येंग का कहना है कि हम तीसरे दौर के ट्रायल के लिए ब्रिटेन और यूरोपीय देश से बातचीत कर रहे हैं। अभी यह शुरुआती दौर में है। वैक्सीन के प्रोडक्शन से पहले रिसर्च पूरी होना बेहद जरूरी है। इसके ट्रायल में सफल होने पर अप्रूवल के बाद सबसे पहले उन्हें दी जाएगी, जो हाई रिस्क जोन में हैं।
इधर, ऑक्सफोर्ड ब्रिटेन को पहले वैक्सीन देने की तैयारी में
दुनियाभर के वैज्ञानिक वैक्सीन तैयार करने की रेस में हैं। वैक्सीन तैयार होने के बाद भी सभी देशों के लिए सबसे बड़ा मुद्दा है, बड़े स्तर पर इसे तैयार करना और उपलब्ध कराना। देश अपनी ही जनसंख्या में कैसे वैक्सीन देने की प्राथमिकता तय करेंगे। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर वैक्सीन तैयार कर रही ड्रग कम्पनी एस्ट्राजेने का का कहना है कि ब्रिटेन पहला देश होगा, जिसे सबसे पहले हमारी वैक्सीन मिलेगी।
आज वर्ल्ड नो टोबैको डे है। इस साल की थीम है युवाओं को तम्बाकू और निकोटीन के दूर रखने के साथ उन झांसों से भी बचाना, जिससेकम्पनियां उन्हें धूम्रपान करने के लिए आकर्षित करती है। तम्बाकू से कमजोर हुए फेफड़े कोरोनावायरस को संक्रमण का दायरा बढ़ाने में मुफीद साबित हो रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लयूएचओ) और शोधकर्ताओं ने भी चेतावनी दी है।
एक सर्वे कहता है, 27 फीसदी टीनएजर्स ई-सिगरेट पीते हैं। उनका मानना है कि ये स्मोकिंग नहीं सिर्फ फ्लेवर है और सेहत के लिए खतरनाक नहीं। इस पर मेदांता की विशेषज्ञ डॉ. सुशीला का कहना है, यह एक गलतफहमी है, वैपिंग भी सिगरेट पीने जितना खतरनाक है।
वर्ल्ड नो टोबैको डे पर जानिए कोरोना और तम्बाकू का कनेक्शन, इस मुद्देपर डब्ल्यूएचओ और मेदांता हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट की डायरेक्टर डॉ. सुशीला कटारिया की सलाह।
लॉकडाउन तम्बाकू छोड़ने का सबसे अच्छा समय
डॉ. कटारिया कहती हैं, तम्बाकू छोड़ने के लिए लॉकडाउन सबसे अच्छा समय है। तम्बाकू छोड़ने के लिए कम से कम 41 दिन का समय चाहिए होता है। अगर तीन महीने तक कोई तम्बाकू नहीं लेता या स्मोकिंग नहीं करता तो वापस इसे शुरू करने की आशंका 10 फीसदी से भी कम रह जाती है। आप लॉकडाउन के दौरान दुनिया के सबसे बड़े एडिक्शन से पीछा छुड़ा सकते हैं।
टीनएजर्स में सिगरेट से ज्यादा आसान ई-सिगरेट की लत पड़ना
कुछ लोग कहते हैं हम तो सिगरेट नहीं ई-सिगरेट पी रहे हैं और इसका बुरा प्रभाव नहीं पड़ता। इस पर डॉ. सुशीला कटारिया का कहना है कि ई-सिगरेट में खासतौर पर एक लिक्विड होता है, जिसमें अक्सर निकोटिन के साथ दूसरे फ्लेवर होते हैं। हमे इसकी लत लग जाती है और फेफड़े भी डैमेज होते हैं।
इन दिनों यह कई फ्लेवर में उपलब्ध हैं ऐसे में बच्चों में इसकी लत लगना सिगरेट से भी ज्यादा आसान है। ई-सिगरेट की आदत पड़ने के बाद सिगरेट और तम्बाकू की लत पड़ना काफी आसान हो जाता है, ऐसा कई शोध में भी सामने आया है।
4 सवालों में डब्ल्यूएचओ की नसीहत : तम्बाकू हर रूप में है खतरनाक और संक्रमण का खतरा भी बढ़ाता है
Q-1) मैं स्मोकिंग करता हूं, क्या मुझे कोरोना का गंभीर संक्रमण हो सकता है?
डब्ल्यूएचओ : स्मोकिंग और किसी भी रूप में तम्बाकू लेने पर सीधा असर फेफड़े के काम करने की क्षमता पर पड़ता है और सांस लेने से जुड़ी बीमारियां बढ़ती हैं। संक्रमण होने पर कोरोना सबसे पहले फेफड़े पर अटैक करता है, इसलिए इसका मजबूत होना बेहद जरूरी है। वायरस फेफड़े की कार्यक्षमता को घटाता है। अब तक कि रिसर्च के मुताबिक धूम्रपान करने वाले लोगों में वायरस का संक्रमण और मौत दोनों का खतरा ज्यादा है।
Q-2) मैं स्मोकिंग नहीं करता सिर्फ तम्बाकू लेता हूं तो संक्रमण का कितना खतरा है?
डब्ल्यूएचओ : यह आदत आपके और दूसरे, दोनों के लिए खतरनाक है। तम्बाकू लेने के दौरान हाथ मुंह को छूता है। यह भी संक्रमण का जरिया है और कोरोना हाथ के जरिए मुंह तक पहुंच सकता है। या हाथों में मौजूद कोरोना तम्बाकू में जाकर मुंह तक पहुंच सकता है। तम्बाकू चबाने के दौरान मुंह में अतिरिक्त लार बनती है, ऐसे में जब इंसान थूकता है तो संक्रमण दूसरों तक पहुंच सकता है। इतना ही नहीं, इससे मुंह, जीभ, होंठ और जबड़ों का कैंसर भी हो सकता है।
Q-3) स्मोकिंग के अलग-अलग तरीकों से कैसे कोविड-19 का खतरा कितना बढ़ता है?
डब्ल्यूएचओ : सिगरेट, सिगार, बीड़ी, वाटरपाइप और हुक्का पीने वाले कोविड-19 का रिस्क ज्यादा है। सिगरेट पीने के दौरान हाथ और होंठ का इस्तेमाल होता है और संक्रमण का खतरा रहता है। एक ही हुक्का को कई लोग इस्तेमाल करते हैं जो कोरोना का संक्रमण सीधेतौर पर एक से दूसरे इंसान में पहुंचा जा सकता है।
Q-4) स्मोकिंग या धूम्रपान छोड़ने पर शरीर में कितना बदलाव आता है?
डब्ल्यूएचओ : इससे छोड़ने के 20 मिनट के अंदर बढ़ी हुई हृदय की धड़कन और ब्लड प्रेशर सामान्य होने लगता है। 12 मिनटबाद शरीर के रक्त में मौजूद कार्बन मोनो ऑक्साइड का स्तर घटने लगता है। 2 से 12 हफ्तों के अंदर फेफड़ों के काम करने की हालत में सुधार होता है। 1 से 9 माह के अंदर खांसी और सांस लेने में होने वाली तकलीफ कम हो जाती है।
कितना दम घोट रहा तम्बाकू
तम्बाकू से दुनियाभर में हर साल 80 लाख से अधिक लोगों की मौत हो रही है। इनमें 70 लाख मौत सीधेतौर पर तम्बाकू लेने वालों की हो रही हैं और दुनिया छोड़ने वाले करीब 12 लाख ऐसे लोग हैं जो धूम्रपान करने वालों के आसपास होने के कारण प्रभावित हुए।
बीमार और स्वस्थ फेफड़ों के बीच फर्क बताता यह वीडियो आपको अलर्ट रखने के लिए काफी है